Mera Vidyalaya Essay In Hindi: विद्यालय वह स्थान है जहां बच्चों को भविष्य में संसार में जीवन यापन करने की शिक्षा देती है।
इसलिए विद्यालय को ईश्वर का स्थान भी माना गया है।

आज कै इस आर्टिकल में आप मेरे विद्यालय पर सरल शब्दों में निबंध पड़ेंगे जिसे आप अपनी नोटबुक में अपने विद्यालय के बारे में कन्वर्ट करके लिख सकते हैं।
Table of Contents
“मेरा विद्यालय” पर निबंध: Mera Vidyalaya essay in Hindi
प्रस्तावना
विद्यालय वह स्थान है, जहाँ शिक्षा ग्रहण की जाती है। “विद्यालय एक ऐसी संस्था है जहाँ बच्चों के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक एवं नैतिक गुणों का विकास होता है। ‘
विद्यालय’ शब्द के लिए आंग्ल भाषा में ‘स्कूल’ शब्द का प्रयोग होता है।
जिसकी उत्पत्ति ग्रीक शब्द ‘Skohla’ या ‘Skhole’ से हुई है, जिससे तात्पर्य है- ‘अवकाश’।
यह अर्थ कुछ विचित्र – सा लगता है। परंतु वास्तविकता यह है कि प्राचीन यूनान में अवकाश के स्थलों को ही विद्यालय के नाम से संबोधित किया जाता था।
अवकाश काल को ही ‘आत्म -विकास’ समझा जाता था।
2. मेरे विद्यालय के बारे:
में, मेरे विद्यालय का नाम हाट कालिका इंटर कॉलेज हैं। यह उत्तराखण्ड राज्य के नैनीताल जिले के एक गांव बिन्दुखत्ता में स्थित है।
मेरा विद्यालय काफी बड़ा है और विश्तृत रूप से फैला हुआ है।
विद्यालय की दूरी कम होने के कारण मैं चलकर ही विद्यालय जाता हूं। मेरा विद्यालय पूरे गांव में सबसे अच्छा और बड़ा है। मेरे विद्यालय के चारों ओर का स्थान बहुत शांतिपूर्ण और प्रदूषण से मुक्त है।
3. मेरे विद्यालय के अध्यापक और प्रधानाचार्य
मेरे विद्यालय में 650 विद्यार्थी पड़ते है जिन्हें 15 शिक्षकों द्वारा उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान की जाती है।
सभी शिक्षक बच्चो को बहुत प्यार करते है। ओर सभी बच्चे भी शिक्षकों को सम्मान करते है। विद्यालय में प्रधानाध्यापक की वही स्थिति होती है जो कि सेना में सेनापति की होती है।
वह विद्यालय के कार्यक्रमों की योजना बनाते है तथा उन योजनाओं को क्रियान्वित करता है। वह शिक्षकों और कर्मचारियो के बीच कार्य का विभाजन करता है।
विद्यालय की सफलता बहुत कुछ उसकी दक्षता, उसकी कल्पनाशक्ति और उसके गुणों पर निर्भर करती है। उसके व्यक्तित्व एवं आदर्शी की छाप विद्यालय के प्रत्येक कार्य पर पड़ती है।
विद्यालय की प्रतिष्ठा बहुत कुछ प्रधानाध्यापक पर ही निर्भर करती है। इसीलिए प्राय: यह कहा जाता है कि जैसा प्रधानाध्यापक वैसा ही विद्यालय।
हमारे विद्यालय के प्रधााध्यापक श्री दीप चन्द्र सनवाल सर है। वो बहुत ही दयालु ओर अनुशासन प्रिय आदमी है। वो हर सुबह बच्चो का उत्साह बढ़ाते हैं तथा रोज बच्चो को नई चीजें सिखाते है।
उनके कार्यकाल में विद्यालय ने बहुत तरक्की की है तथा नाम बनाया है।
4. मेरे विद्यालय की शिक्षा एवं सुविधा
मेरे विद्यालय में एक बड़ा पुस्तकालय है, जो कि पुस्तकों से अच्छी तरह से सुसज्जित है। इसमें अनेक विषयों से संबंधित किताबे है।
यहां पर वाद्य यंत्र की कक्षायें भी है इसके अलावा एक विज्ञान प्रयोगशाला है। मेरे विद्यालय में कक्षा छह से बारहवीं तक की कक्ष्याएं है।
जिसमें वाणिज्य ओर विज्ञान भी शामिल है। यह एक कंप्यूटर प्रयोगशाला है, तथा यहाँ पर कक्षा छह से दश तक के छात्र एवं छात्राओं की पढाई के लिए उत्तम व्यवस्था की गई है।
यहाँ विद्यालय का परिवेश शांत और शिक्षा की उत्तम व्यवस्था है। यहाँ हर कक्षा के 2 अनुभाग यानी सेक्शंस है। यहाँ के प्रधानाध्यापक अनुशासन प्रिय है। हमारा विद्यालय 2 मंजिला इमारत है।
यहाँ विद्यालय में तक़रीबन 25 कमरे है। कमरे में गुणवत्ता पूर्वक कैमरे बैठने के लिए उपयुक्त चटाई और श्यामपट्ट का इंतज़ाम है।
विद्यालय में पीने के पानी एवं शौचालय की भी उत्तम व्यवस्था है। शिक्षक सभी छात्रों के अंको और अन्य छात्रों से संबंधित बातों की पूर्ण जानकारी रखते है।
विद्यालय में अलग-अलग कामों के लिये चपरासी लगाये गये जो अपने-अपने कामों को नियम पूर्वक करते है।जिसमें से एक रात्री के समय विद्यालय की देखभाल के लिये वहां रहता भी है।
यहां बच्चों के लिए खेलने का बहुत बड़ा मैदान है जहां बहुत सारे खेल खेले जाते हैं। तथा बच्चे बढ़-चढ़कर खेलों में प्रतिभाग करते हैं जिससे बच्चे शारीरिक व मानसिक रूप से ताकतवर बनते हैं।
जो बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए बहुत जरूरी है। हमारे स्कूल के बगल में मां हाट कालिका का एक बहुत बड़ा भव्य मंदिर है। जिसके कारण हमारे स्कूल का नाम हाट कालिका इंटर कॉलेज पड़ा।
“मेरा विद्यालय” पर निबंध हिंदी में: Mera Vidyalaya essay in Hindi
यहां बरगद का एक बहुत विशाल पेड़ है जिसकी छाया मनमोहक है रोज सुबह माता की आरती होती है। सभी बच्चे माता से अपने उज्जवल भविष्य की कामना करते है।
यहां के विद्यार्थी खेलों में बढ़-चढ़कर भाग लेते है तथा जीत कर विद्यालय का नाम रोशन करते है। मेरे स्कूल के अध्ययन मानदंड बहुत ही रचनात्मक हैं।
जो हमें किसी भी कठिन विषय को आसानी से समझने में मदद करते हैं।
हमारे शिक्षक हमें बहुत ईमानदारी से सब कुछ सिखाते हैं और हमें व्यावहारिक रूप से ज्ञान भी देते हैं।
5. मेरे विद्यालय जाने और आने का समय
गर्मियों में विद्यालय जाने का समय सुबह 7:30 से 1:30 और सर्दियों में 9:30 से 3:30 तक है। सब बच्चे समय पर स्कूल पहुंच कर अपनी अपनी कक्षा में जाकर अपना बैग अपने बैठने के स्थान पर रखते है।
फिर उसके बाद प्राथना के लिए कॉल बेल बजती है।जिसके बाद सभी विद्यार्थी अनुशासित ढंग से लाइन से प्रार्थना स्थल पर पहुंचते हैं।
तथा सभी कक्षाएं कक्षा अनुसार लाइन में खड़े हो जाते हैं उसके बाद प्रार्थना आरंभ होती है।
सरस्वती वंदना तथा गायत्री मंत्र का उच्चारण होता है तथा हर दिन अलग-अलग प्रार्थनाएं की जाती है। उसके बाद सभी बच्चे सावधान की अवस्था पर खड़े रहते हैं तथा राष्ट्रगान प्रारंभ होता है।
उसके बाद सभी बच्चे प्रतिज्ञा लेते हैं तथा उसके बाद नारे लगाए जाते हैं इनमें कुछ नारे इस प्रकार हैं।
भारत माता की जय, वंदे मातरम, इंकलाब जिंदाबाद, जय जवान जय किसान उसके बाद बच्चे अपनी जगह में बैठ जाते हैं।
इसके बाद समाचार तथा विचार बच्चों द्वारा प्रस्तुत किए जाते हैं। हमारे प्रधानाचार्य सब को प्रोत्साहित करते हैं।
तथा उसके बाद सभी विद्यार्थी अनुशासित ढंग से अपनी कक्षाओं में प्रवेश करते हैं कक्षा में प्रवेश करने के बाद कक्षा अध्यापक सभी बच्चों की उपस्थिति लेते हैं।
गर्मियों में प्रत्येक कालखंड 30 मिनट का होता है तथा सर्दियों में 40 मिनट का होता है 4 पीरियड हो जाने के बाद मध्य अवकाश होता है।
जिसमें पूजन माता सभी बच्चों को खाना खिलाती है हर दिन अलग-अलग प्रकार का खाना बनता है।
जिसे खाकर बच्चे बहुत खुश रहते हैं तथा खाना खाने के बाद सभी बच्चे टाइम पूर्वक अपनी थाली धोते है।
अंतिम पीरियड खेल का होता है इसमें हमारे पीटीआई सर बच्चों को खेलना सिखाते हैं।
तथा उन्हें सही मार्गदर्शन प्रदान करते हैं जिससे बच्चे उचित एवम् अच्छा खेल खेल पाते हैं तथा उसके बाद छुट्टी हो जाती है।
सभी बच्चे अनुशासित ढंग से अपने-अपने बैग उठाकर घर को जाते हैं।
सभी छोटे बच्चों और बड़े बच्चों के लिये छुट्टी होने पर स्कूल से निकलने का अलग-अलग रास्ता है ताकि छोटे बच्चों को बाहर निकलने में कोई परेशानी न हो।
6. मेरे विद्यालय में मनाए जाने वाले उत्सव
हमारे विद्यालय में सभी महोत्सव बड़ी धूमधाम से बनाए जाते हैं चाहे वह गणतंत्र दिवस हो या स्वतंत्रता दिवस या फिर गांधी जयंती यहां बहुत सारे महोत्सव बड़ी ही धूमधाम से बनाए जाते हैं।
यहां महोत्सव के दिन बच्चों को थोड़ा जल्दी बुलाया जाता है इसमें बच्चों से फूल मंगाए जाते हैं तथा स्कूल को सजाया जाता है इसमें बच्चे खुशी-खुशी प्रतिभाग करते हैं यहां लाउडस्पीकर लगाए जाते हैं।
ताकि सभी बच्चों तक आवाज़ पहुंचे। इसके बाद कार्यक्रम शुरू होते हैं; सबसे पहले सरस्वती वंदना की जाती है, फिर अन्य कार्यक्रम शुरू होते हैं। जिसमें सभी बच्चे बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं।

हमारे प्रधानाध्यापक एवं सभी शिक्षक गण बच्चों के सामने अपने विचार एवं बच्चों को मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए भाषण देते है। जिसको बच्चे ध्यान पूर्वक एवं रुचि लगाकर सुनते हैं।
अंत में मिष्ठान वितरण होता है जिससे बच्चे खुश हो जाते हैं तथा उसके बाद बच्चे खुशी-खुशी घर जाते हैं।
उपसंहार:
हमारे विद्यालय के शिक्षक बहुत ही अनुभवी और योग्य है। शिक्षकों और हमारी प्राचार्य के नेतृत्व में हमारा विद्यालय लगातार उन्नति कर रहा है। लगातार ही उन्नति करते रहेगा यही हमारी कामना है मैं अपने स्कूल से बहुत प्रेम करता हूं।
जय हिंद जय भारत 🇮🇳
Conclusion (निष्कर्ष)
Mera Vidyalaya essay in hindi: आज केसा टकल में आपने मेरे विद्यालय पर निबंध पड़ा।
आशा करता हूं आप कोई आर्टिकल पसंद आया होगा इस आर्टिकल को आप अपने दोस्तों रिश्तेदारों को व्हाट्सएप फेसबुक या अन्य किसी मीडिया प्लेटफॉर्म में जरुर शेयर करें।
अगर आप भी मेरे विद्यालय पर छोटा निबंध लिखना चाहते हैं तो आप हमें कमेंट करके जरूर बताएं। हम आपके द्वारा लिखे गए निबंध को इस आर्टिकल में जरूर पब्लिश करेंगें।
अब हमारे यूट्यूब चैनल फुल ऑन फैक्ट को भी सब्सक्राइब कर सकते हैं जहां आपको इंटरेस्टिंग और अमेजिंग फैक्ट्स पर वीडियो मिलेंगे
Mera Vidyalaya essay in Hindi: My school essay in Hindi
यह भी पढ़ें
- ग्लोबल वार्मिंग दुनिया का सबसे बड़ा संकट पड़े निबंध सरल शब्दों में
- क्यों मनाई जाती है दुर्गा पूजा जानी दुर्गा पूजा का महत्व दुर्गा पूजा पर निबंध सरल शब्दों में
- गौ माता के बारे में संपूर्ण जानकारी निबंध के रूप में एक बार जरूर पढ़ें
- छात्रों के लिए महान लोगों के द्वारा दिए गए कुछ प्रेरणादायक विचार
- 124 रोचक तथ्य विद इमेज एक बार जरूर पढ़ें
Excellent work Tanuj!
Nice..its amazing.
Nice
Nice
Amazing
Well explained ….., excellent bro.
Adbhut lhikha hai apne nibhand padkar achha laga
Very informative
✍️ Crazy’ writer
Badiya