About Aastha Aur Andhvishwas In Hindi: मनुष्य का अपने परमात्मा पर विश्वास किसी सेवक का अपने स्वामी पर विश्वास आस्था कहलाता हैं। परंतु बिना सोचे समझे बिना सत्य असत्य जाने किसी पर भी विश्वास करना अंधविश्वास कहलाता है।
आज के इस आर्टिकल में आप अंधविश्वास और आस्था के बारे में संपूर्ण जानकारी जानेंगे और भारत में अंधविश्वास पर भी चर्चा करेंगे तो शुरु करते हैं इस आर्टिकल को
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आस्था और अंधविश्वास के बारे में: About Aastha aur Andhvishwas in Hindi
1. आस्था क्या है?
आस्था का अर्थ है किसी विषय-वस्तु, के प्रति विश्वास का भाव। साधारण शब्दों में ज्ञान के आधार के विना किसी भी परिकल्पना को सच मान लेना आस्था कहलाता है।
परन्तु इसका व्यापक अर्थ भी है जो बुद्धि के पार है। क्योंकि किसी परिकल्पना पर विश्वास कर लेने के लिए बुद्धिमता की जरूरत नहीं है।
आस्था के व्यापक अर्थ को जानने के लिए ज्ञान की, बुद्धिमता की जरूरत पड़ती है। वास्तव में आस्थावान होने का आशय आस्तिक होने से है।
2. अंधविश्वास क्या है?
अन्धविश्वास का मतलब बिना कुछ सोचे समझे बिना बुद्धि का इस्तमाल करे बिना किसी चीज को सच मान लेना ही अंधविश्वास कहलाता है।
3. आस्था और अंधविश्वास में अंतर
आस्था और अंधविशवास एक ही समान लगते है ईश्वर है और सिर्फ वहीं है। मैं अनंत चैतन्य ईश्वर का ही अंश हूं। समस्त सृष्टि का जन्मदाता वही है। ये आस्था है।
ईश्वर है और वो मेरी क्षूद्र भौतिक मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए देवस्थानों या मूर्तियों, पेड़ों, नदी-नालों आदि इत्यादि में वास करता है ये अंधविश्वास है।
ईश्वर के इस असत स्वरूप को सत्य मानने वाले ईश्वर प्राप्ति से बहुत दूर हो जाते हैं। सांसारिक लोगों कि सामान्य मनोवृत्तियों और अपेक्षाओं को जानते हुए कई लोगों ने अंधविश्वास की बड़ी-बड़ी दुकानों को रच दिया।
हालत तो ये हो गए कि ईश्वर उपासना के महत्व से ही हम बहुत दूर निकल आए।
आस्था एक इन्सान को सबल बनाती है तो अंधविश्वास कमजोर करता है। आस्था एक साधारण इन्सान को आत्मविश्वास प्रदान करती है। अपने परिवार, समाज व् देश पर आस्था होना आवश्यक है।
इसी प्रकार एक साधारण इन्सान को अपना आत्मबल बनाये रखने के लिए ईश्वर,भगवान, अल्लाह व् वाहे गुरु आदि में आस्था रखनी पड़ती है |
ऐसे ही इंसानों को हम आस्तिक कहते है और जो इनमे वे जो विश्वास नहीं रखता उसे नास्तिक कहा जाता है | नास्तिक होना एक साधारण इन्सान के वश से बाहर है , क्योंकि इसके लिए बहुत बड़ा जिगर चाहिए या बहुत ही निर्भीक होने की आवश्यकता है |
4. मनुष्य कब आस्था से अंधविश्वास की ओर जाता है?
भारतीय संविधान के मौलिक कर्त्तव्यों (अनुच्छेद 51ए) के अंतर्गत वर्णित है कि प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है कि वह वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद, ज्ञानार्जन और सुधार की भावना का विकास करे।
लेकिन हालात तो इसके उलट ही दिख रहे हैं। देश-दुनिया में, समाज में अंधविश्वास जड़ें जमाए हुए है। इसे कभी संस्कृति की धरोहर का हिस्सा बता दिया जाता है तो कभी और कुछ।
यह कट्टर आस्था के आकाश में भी विचरण कराता है। पश्चिमी देशों में जहां अंधविश्वास को गंभीरता से नहीं लिया जाता, वहीं पूर्वी देशों में इसके प्रति परंपरा का वह सोपान है।
जो कभी कभी जुनून बन कर मानव मस्तिष्क को जकड़ लेता है और सामाजिक तानेबाने को आघात भी पहुंचाता है।
जहां तक भारत की बात है तो देश के ज्यादातर हिस्सों में अंधविश्वासी परंपराओं ने गहरी जड़े जमा रखी हैं, खासतौर से ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में।
इसी महीने बिहार के एक गांव में भूत-प्रेत का आरोप लगा कर एक महादलित के पूरे परिवार को मारपीट कर पंचायती आदेश से गांव से निष्कासित कर दिया गया।
पीड़ित परिवार ने स्थानीय थानेदार से न्याय की गुहार लगाई। किंतु उसे न्याय नहीं मिल सका। अंधविश्वास की एक रोचक घटना छत्तीसगढ़ के एक गांव की है जहां इंद्र देवता को प्रसन्न करने के लिए मेंढक-मेंढकी की शादी आदिवासी परंपराओं से करवाई गई।
इस आयोजन में आसपास के बारह गांवों के करीब तीन हजार लोगों ने हिस्सा लिया।
हालांकि उस जिले में पचहत्तर प्रतिशत बारिश हुई है फिर भी सूखे जैसी स्थिति से बचने के लिए लोगों ने मेंढक-मेंढकी की शादी कराई। लेकिन हाल में मध्य प्रदेश की एक घटना ने सबसे विचलित कर दिया।
अच्छी बारिश के लिए दमोह जिले के एक गांव में कई नाबालिग बालिकाओं को गांव में निर्वस्त्र घुमाया गया। ऐसी घटनाएं तो बानगी के रूप में दिखाई देती हैं, जब वे खबरों का हिस्सा बन कर सामने आ जाती हैं।
लेकिन सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी असंख्य घटनाएं सामान्य बात हैं। देवताओं को खुश करने के लिए बच्चों की बलि तक चढ़ा दी जाती है।
5. भारत में अंधविश्वास का मुख्य कारण क्या है?
सर्वेक्षण बताते हैं कि धर्म और जाति या सामाजिक मान्यताओं का आंख मूंद कर अनुसरण करने से अंधविश्वास के बादल घनीभूत होते हैं।
इसी का नतीजा हैं कि कभी किसी को डायन समझ कर मार दिया जाता है तो कहीं छोटे बच्चों को बलि देने,अंगभंग करने या किसी ढोंगी धर्मगुरु के प्रति अंधे समर्पण के रूप में यह देखा जा सकता है।
यह भी सच है कि किसी उपदेश या कानून से समाज से अंधविश्वास नहीं मिटाया जा सकता। अंधविश्वास को जड़ से खत्म करने का एक ही रास्ता है, और वह है शिक्षा।
शिक्षा के माध्यम से लोगों को जागरूक बना कर, सामाजिक जागृति के विभिन्न कार्यक्रम चला कर ही हम इस बुराई को समाज से मिटा सकते हैं।
अन्धविश्वास के मुख्य कारण निम्न है।
- विश्वास का कमजोर होना।
- ज्ञानविज्ञान, जागरूकता की कमी।
- ढोंगियों, पाखंडियों का फैलता व्यवसाय।
Conclusion (निष्कर्ष)
About Aastha aur andhvishwas in Hindi: इस आर्टिकल में आपने आस्था और अंधविश्वास के बारे में संपूर्ण जानकारी जानी। आशा करता हूं आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा।
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